PDF Name | Shri Vishnu Chalisa Pdf In Hindi |
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No. of Pages | 5 |
PDF Size | 906 KB |
Language | Hindi |
PDF Category | Religion & Spirituality |
Tags | Chalisa |
Last Updated | October 26, 2024 |
Source / Credits | Archive |
Uploaded By | Stephen |
विष्णु चालीसा PDF हिंदी में
विष्णु चालीसा एक प्रार्थना है जो भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। विष्णु जी, जिन्हें जगत के पालनहार और समस्त संसार की रक्षा करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, उनके गुणगान और उनकी महिमा का वर्णन इस चालीसा में मिलता है। विष्णु चालीसा के पाठ से भक्तों को शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

विष्णु चालीसा के लाभ
- शांति और समृद्धि: विष्णु चालीसा का नियमित पाठ भक्तों को मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि प्रदान करता है।
- धार्मिक ऊर्जा: विष्णु चालीसा का पाठ घर में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है।
- संकटों से मुक्ति: विष्णु जी के आशीर्वाद से जीवन में आने वाले कठिन समय और संकटों से मुक्ति मिलती है।
विष्णु चालीसा का पाठ
Vishnu Chalisa lyrics in hindi
॥ दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय
सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं
दीजै ज्ञान बताय ॥
चौपाई :
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,
बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे,
देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण,
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,
केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,
तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,
रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया,
हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,
चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,
रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,
असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया,
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,
उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई,
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,
कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,
बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी,
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,
हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे,
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चाहता आपका सेवक दर्शन,
करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,
कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई,
हर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई,
निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥
॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥
विष्णु चालीसा पीडीएफ डाउनलोड करें
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Vishnu Chalisa Pdf
FaQs
विष्णु की चालीसा कब पढ़ना है?
विष्णु चालीसा का पाठ निर्जला एकादशी, गुरुवार, और विष्णु जी से संबंधित त्योहारों जैसे विशेष अवसरों पर करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। भक्त इसे रोजाना सुबह या शाम को भी कर सकते हैं।
भगवान विष्णु का प्रिय मंत्र
भगवान विष्णु का प्रिय मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ है। इस मंत्र का जाप करने से साधक को विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।