PDF Name | Lakshmi Chalisa PDF In Hindi |
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No. of Pages | 2 |
PDF Size | 211 KB |
Language | Hindi |
PDF Category | Religion & Spirituality |
Tags | Chalisa |
Last Updated | October 26, 2024 |
Source / Credits | Archive |
Uploaded By | Stephen |
Lakshmi Chalisa In Hindi | Laxmi Chalisa Pdf
लक्ष्मी चालीसा मां लक्ष्मी को समर्पित एक भक्तिमय स्तोत्र है। मां लक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। श्रद्धा भाव से पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। विशेष रूप से दीपावली और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ बहुत ही फलदायी माना गया है, जब भक्त मां लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

हम आपको लक्ष्मी चालीसा पीडीएफ हिंदी में डाउनलोड के लिए उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि आप इसे कभी भी और कहीं भी पढ़ सकें।
लक्ष्मी चालीसा पाठ के लाभ
- घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है।
- परिवार में शांति, सुख और सामंजस्य बना रहता है।
- आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में अभाव समाप्त होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लक्ष्मी चालीसा
॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ॥ १ ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥ २ ॥
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा ॥ ३ ॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी ॥ ४ ॥
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी ॥ ५ ॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी ॥ ६ ॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥ ७ ॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी ॥ ८ ॥
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता ॥ ९ ॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो ॥ १० ॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी ॥ ११ ॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥ १२ ॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥ १३ ॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥ १४ ॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥ १५ ॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी ॥ १६ ॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई ॥ १७ ॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई ॥ १८ ॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई ॥ १९ ॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई ॥ २० ॥
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि ॥ २१ ॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै ॥ २२ ॥
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥ २३ ॥
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना ॥ २४ ॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै ॥ २५ ॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥ २६ ॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै ॥ २७ ॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥ २८ ॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं ॥ २९ ॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ ३० ॥
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥ ३१ ॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी ॥ ३२ ॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं ॥ ३३ ॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे ॥ ३४ ॥
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी ॥ ३५ ॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी ॥ ३६ ॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में ॥ ३७ ॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥ ३८ ॥
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई ॥ ३९ ॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
Lakshmi Chalisa PDF
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माँ लक्ष्मी चालीसा की संरचना और रचना
लक्ष्मी चालीसा के रचनाकार श्री रामदास जी माने जाते हैं। यह चालीसा काव्यात्मक शैली में रचित है, जिसमें 40 श्लोक हैं, जो देवी लक्ष्मी के विभिन्न गुणों का उल्लेख करते हैं। इसकी सरल भाषा इसे भक्तों के बीच लोकप्रिय बनाती है, और इसका सस्वर पाठ लयबद्धता के कारण अधिक आनंददायक हो जाता है।
महत्व
देवी लक्ष्मी को धन, सौभाग्य, और समृद्धि की देवी माना जाता है, और उनकी पूजा का विशेष महत्व है। लक्ष्मी चालीसा का पाठ जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार करता है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में आर्थिक स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
लक्ष्मी चालीसा के लाभ
- धन की प्राप्ति: लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से धन की कमी दूर होती है और आर्थिक समृद्धि आती है।
- व्यापार में सफलता: व्यापारी अपने व्यापार में वृद्धि के लिए इसका नियमित पाठ कर सकते हैं।
- शांति और सुख: इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और परिवार में सुख की प्राप्ति होती है।
- आर्थिक स्थिरता: यह पाठ आर्थिक स्थिरता लाने में मदद करता है और जीवन की समस्याओं का समाधान करता है।
लक्ष्मी चालीसा का पाठ कैसे करें?
- माता लक्ष्मी की प्रतिमा को सजाएं और दीप जलाएं।
- पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूर्ण ध्यान के साथ पाठ करें।
- चालीसा के बाद लक्ष्मी माता की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।
FAQs
क्या लक्ष्मी चालीसा का पाठ कोई कर सकता है?
हाँ, कोई भी भक्त देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसका पाठ कर सकता है।
लक्ष्मी चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार रोजाना या विशेष अवसरों पर पढ़ सकते हैं।
क्या लक्ष्मी चालीसा सुनने से भी लाभ होता है?
हाँ, श्रद्धा भाव से लक्ष्मी चालीसा सुनने से भी वही लाभ होता है जो इसे पढ़ने से मिलता है।
लक्ष्मी चालीसा के रचनाकार कौन हैं?
लक्ष्मी चालीसा की रचना संत श्री रामदास जी ने की है।